यह इस बात का प्रमाण है कि केवल शास्त्रों को
तोते की भांति रट्ने से हमारी आत्मा की अध्यात्मिक उन्नति नहीं होती ।
दस दिमागों जितना ज्ञान रावण में था , चारों वेदों का टिकाकार भी था,
किंतु क्या अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण कर पाया ?
इसका विपरीत हुआ जब उसने सीता का अपहरण किया ।
इसलिए ही तो उसका पुत्ला प्रति वर्ष हम जलाते हैं ।
तो इसका अर्थ हुआ कि जब तक हम शास्त्रों का ज्ञान अपने जीवन में लागू नहीं करते, हमारी समस्याओं का अंत नहीं हो सकता ।
एक और बात याद रखनी चाहिए कि सब वेदों-किताबों को सत्गुरुओं ने लिखा था ।
हर किताब कहती है कि सच्चे गुरु बिना कुछ नहीं।
दुनिया भर की पुस्तकें क्यों ना हों घर में ,
यदि सत्गुरु की शरण में नहीं गए हम, तो कौड़ी काम की नहीं।
वही रावण वाला हाल ...... क्या फायदा ....?
#दस्सेहरा #dassehra #spirituality #vedas #अध्यात्मिक #उन्नति #रावण #सत्गुरु #devotion #god #Ravana #truth #books #Master #HappyDussehra2018#Festive #Dussehra2018 #GoodOverEvil #Celebration #Festival #Victory @swaindiaorg pic.twitter.com/DzJcP6yVJ6— ऋषि बब्बर (@Rishi_Babbar) 18 October 2018